Tuesday, November 27, 2018

भारत के स्कूलों में 67% पढ़ाई ब्लैकबोर्ड के जरिए, स्मार्टफोन का सिर्फ 16% इस्तेमाल

भारत को दुनिया में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का सुपरपावर माना जाता है। इसके बावजूद में देश में शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक का इस्तेमाल काफी कम है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर के देशों में जहां औसतन 35% ब्लैकबोर्ड रह गए हैं, भारत के स्कूलों में अभी भी 67% पढ़ाई ब्लैकबोर्ड पर हो रही है। दुनियाभर के देशों में व्हाइट बोर्ड का भले ही 73% इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन कुल पढ़ाई में स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल औसतन 42% है। इस मामले में भारत पीछे है, जहां पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल महज 16% होता है।

हाल ही में ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के संगठन कैम्ब्रिज असेसमेंट इंटरनेशनल एजुकेशन ने एक सर्वे किया। इसी साल मार्च से मई में किए गए सर्वे में दुनियाभर से 20 हजार टीचरों और बच्चों को शामिल किया गया। भारत से इसमें 4453 टीचर और 3927 छात्रों की राय ली गई।

सब्जेक्ट को लेकर अपडेट रहने में स्मार्टफोन मददगार
सर्वे के मुताबिक, भारतीय कक्षाओं में स्मार्टफोन, टैबलेट या व्हाइट बोर्ड (पेन से लिखा जाने वाला) का इस्तेमाल काफी कम होता है। शोध के मुताबिक, दुनिया के महज एक तिहाई छात्रों ने पढ़ाई के दौरान ब्लैकबोर्ड या चॉक के इस्तेमाल की बात कही। वहीं भारत में ऐसा कहने वाले दो तिहाई छात्र हैं। सर्वे में बताया कि ज्यादातर देशों में स्मार्टफोन-टैबलेट के साथ पेन-पेपर-ब्लैकबोर्ड का इस्तेमाल होता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्मार्टफोन के जरिए पढ़ाने से टीचर बच्चों से न केवल ज्यादा जुड़े रहते हैं बल्कि वे विषय को लेकर ज्यादा अपडेट भी रह सकते हैं।

केवल डिवाइस देना ही काफी नहीं
एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया है कि छात्रों को केवल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस देने भर से उन्हें काबिल नहीं बनाया जा सकता। 2005 में पेरू में स्कूली छात्रों में कम्प्यूटर की तादाद बढ़ाने के लिए वन लैपटॉप पर चाइल्ड कार्यक्रम शुरू किया गया था। लेकिन छात्रों के गणित और भाषा पर इसका बेहद कम प्रभाव पड़ा।

मोदी ने कहा कि जब अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। कांग्रेस के नेता और राज्यसभा के सदस्य ने कहा कि 2019 तक केस मत चलाओ क्योंकि 2019 में चुनाव हैं। देश के न्यायतंत्र को इस प्रकार राजनीति में घसीटना उचित है क्या? यह भी कहा कि कांग्रेस के पास चुनाव में मुद्दा नहीं है। उनके नेता कभी मेरी मां को गाली देते हैं, कभी मेरी जाति को लेकर सवाल पूछते हैं। पूरा देश यह जान गया है कि ये सब नामदार (राहुल गांधी) के कहने पर हो रहा है।

नफरत का भाव कांग्रेस की रगों में'

मोदी ने यह भी कहा, "कांग्रेस जातिवाद का जहर फैलाने से बाज नहीं आ रही। दलितों और पिछड़ों के प्रति नफरत का भाव कांग्रेस की रगों में भरा पड़ा है। अलवर की धरती गौरव और अहंकार को चूर करने वाली है। यहां के लोग नामदारों के अहंकार को चकनाचूर कर देंगे। कांग्रेस में हिम्मत हो तो वसुंधरा जी ने जो काम किया है, उसे चुनौती दें। लेकिन उनकी सरकार के कार्यकाल का हिसाब इतना बुरा है कि उसे याद करने की भी हिम्मत नहीं है।

No comments:

Post a Comment